अफीम किस पौधे से प्राप्त होता है, अफीम पौधे के किस भागों में पाया जाता है, अफीम देने वाला पौधा कौन सा है, अफीम के पौधे को क्या कहते हैं, अफीम पौधे के कौन से भाग से प्राप्त होता है, अफीम के पौधे से क्या क्या बनता है?, अफीम के क्या क्या फायदे हैं, अफ़ीम का वानस्पतिक नाम क्या है, अफीम के आयुर्वेदिक फायदे, अफीम की खेती कहां होती है, अफीम की कीमत, अफीम के बीज, अफीम का वैज्ञानिक नाम |
क्या आप अफीम के बारे में Google कर रहे है? इस पोस्ट में अफीम से पूरी जानकारी 100% सही व सटीक बताने वाले है। अफीम एक गोंद (चिपकाने वाला) की तरह का पदार्थ है यह एक तरल और गाढ़ा पदार्थ है, अपने हाथो से लगाने पर हमारे हाथो पर चिपक जाता है। जिस तरीके से डामर (Road बनाने में प्रयुक्त काला पदार्थ) चिपकता है ठीक वैसे ही है।
अफीम एक मानव द्वारा डोडा के पौधे से निकले जाना पदार्थ है। इसको बनाने के लिए किसी प्रकार के chemical की जरुरत नहीं होती है।
अफीम किस पौधे से प्राप्त होता है?
आपके दिमाग में यह सवाल घूम रहा होगा की की अफीम किस पौधे से प्राप्त होता है? अफीम एक नशीली चीज है जो की डोडा के पौधे पर आने वाले गोल-गोल फल से निकला जाता है। वैसे तो आप गूगल पर सर्च करते है तो अफीम पोस्त या पोस्ता से प्राप्त होती है के बारे में बताया जायेगा लेकिन इस नाम से लगभग 10% ही लोग जानते है।
जिस पौधे से अफीम को निकाला जाता है उस पौधे को डोडा का पौधा(पॉपुलर नाम), पोस्त, पोस्ता, या पॉपी (poppy) के नाम से जाना जाता है। उतर प्रदेश और मध्यप्रदेश में अफीम के पौधे को पोस्ता कहा जाता है।
अफीम कैसे बनाते है?
अफीम बनाने का तरीका | क्या आप जानते है की अफीम कैसे बनती है कुछ लोग सोचते है की अफीम बनाने के लिए शायद किसी chemical की जरुरत होगी लेकिन आप गलत हो।
अफीम को डोडा के पौधे से प्राप्त किया जाता है। सबसे पहले पौधे को 6 महीने पकने देते है। जब पोस्त का पौधा का पाक जाता है तब ब्लेड लिया जाता है और उसके ऊपर आने वाले गोल-गोल फल को चीरा लगाया जाता है। चीरा लगने के ठीक बाद डोडे के पौधे के फल से सफ़ेद रंग का दूध (juice) निकलने लगता है। इस दूध को कटोरी में इकट्ठा कर लेते है और यही अफीम होता है।
शुरुआत में पौधे से निकलते समय अफीम तरल रूप में दूध जैसे होती है और कुछ टाइम बाद वह गाढ़ा पदार्थ का रूप ले लेती है। जहा जहा फल में वाइन्स होती है वह चीरा लगा कर अफीम निकला जाता है।
अफीम को पहले टाइम में चीरा लगाने के वक्त और इन फलो को तोड़कर कढ़ाई में उबालकर एक विशेष प्रक्रिआ द्वारा निकला जाता है। कच्चे पौधे का उपयोग करने पर किसी भी प्रकार से अफीम नहीं निकलती है।
भारत में अफीम की खेती
भारत जैसे विशाल देश में अफीम की खेती मध्यप्रदेश के छीपाबड़ौद, अमरपुरा, मंदसौर, कलमंडा, उतर प्रदेश, प्रतापगढ़, राजस्थान के इकलेरा, भीलवाड़ा व अन्य, लखनऊ और अन्य क्षेत्रों में की जाती है।

अफीम की कीमत 2022 में
अगर आप अफीम की कीमत या भाव जानने से पहले यह ध्यान रखे की इसको कोई नहीं खरदी सकता है। लेकिन कुछ लोग इसका छुपकर धंधा करते है। अफीम के भाव दो होते है। अफीम की खेती यानी पोस्त की खेती करने के लिए भारत सरकार से लाइसेंस मिलने के बाद ही खेती कर सकते है। नियम के अनुसार अफीम का उपयोग बहुत साड़ी इंग्लिश दवाइयों में किया जाता है इसलिए कुछ सीमित लोगो को लाइसेंस दिया जाता है। इससे होने वाली अफीम पर केवल सरकार ही खरीद कर किसानो को उसके मूल्य देती है।
अफीम का मूल्य किसानो को बहुत कम देती है जिसके कारन मजबूर होकर यह लोग छुपकर illegal activity करके अधिक पैसे कमाते है। illegal तरीके से अफीम sell करने पर इनको असली अफीम (orignal afeem) की कीमत 1 किलो की लगभग 1, 20,000 से लेकर 1, 80, 000 तक मिल जाती है।
अफीम के बीज
अफीम के बीज? अगर आप इसको सर्च कर रहे है तो आप गलत है क्योकि अफीम का कोई बीज नहीं होता है। अफीम डोडा या पोस्ता नामक पौधे से दूध के रूप में निकला जाता है।
पोस्ता या डोडा के बीज भूरे रंग के बजरी के दाने जैसे होते है और वजन में बहुत हलके होते है। जिन क्षेत्रों में इनको उगाया जाता है वह पोस्ता के बीजो के चटनी बना कर खायी जाती है।
यदि आपको लाइसेंस मिला है तो ही इन बीज को ख़रीदे या किसी बीमारी के लिए खरीद सकते है, क्योकि बिना लाइसेंस उगाना क़ानूनी अपराध है और आपको जेल हो जाएगी। अगर आप ऐसा करते है तो आपको खिलाफ नारकोटिक्स के तहत केश फाइल होगा।
पोस्ता के 1 किलो बीज की कीमत लगभग 250-300 होती है लेकिन अधिक मांग होने पर कीमत को बढ़ाया जा सकता है।
अफीम का वैज्ञानिक नाम
अफीम का वैज्ञानिक नाम पपवर सोम्नीफेरम होता है और अंग्रेजी में भी Scientfic name lachryma papaveris है। अफीम को इंग्लिश में Opium कहा जाता है।
असली अफीम की पहचान
बहुत सारे लोग असली अफीम और नकली अफीम में पता नहीं लगा पाते है। जो लोग इसका सेवन करते है वह इसकी परख बहुत ही चतुरता से कर लेते है। लेकिन क्या हम असली अफीम की पहचान का पता लगा सकते है। सबसे पहले अपने हाथ में थोड़ा सा अफीम लेना है और उसमे 3-4 बून्द पानी की डाल कर मशलना है बहुत हलके हाथो से। मशलने से बाद यदि पूरा पानी की तरह अच्छे से घुल जाता है तो असली है और यदि उसमे कुछ कण अलग अलग हो जाते है और नहीं घुलते तो मिलावट है।

अफीम से कौन-कोनसी दवाई बनाई जाती है?
अफीम से पेनकिलर जैसी इंग्लिश दवाई और बहुत साड़ी और्वेदिक मेडिसिन बनाई जाती है। अफीम से हीरोइन भी बनायीं जाती है – हीरोइन कैसे बनाये अफीम से
भारत में अफीम का सबसे अधिक उत्पादन या खेती मध्यप्रदेश राज्य में की जाती है। अफीम की सबसे अधिक खेती पुरे भारत में मध्यप्रदेश के शहर मंदसौर में की जाती है। इसके बाद रतलाम और नीमच में भी अफीम उगाई जाती है।
अफीम का बीज नहीं होता है बल्कि अफीम को डोडा/पोस्त या पोस्ट के पौधे के गोल गोल फल से दूध के रूप में निकला जाता है। पोस्त के बीज बजरी जैसे बिलकुल बारीक़ और अंडाकार होते है। यह वजन में बहुत हलके और भूरे होते ह।
राजस्थान में अफीम की खेती चित्तोडगढ, उदयपुर, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, जिलों में की जाती है।
अफीम का उपयोग बहुत सारी अंग्रेजी दवाइया और और्वेदिक दवाइया बनाने में किया जाता है। इसकी मदद से पेनकिलर, REXI-DX टेबलेट,लिक्विड, बनाये जाते है क्योकि इसमें नशे की मात्रा होने से दर्द होने वाले को रहत पहुँचती है। लेकिन अफीम की मदद से स्मैक भी बनाई जाती है। स्मैक एक बहुत नशीला चीज है जिसका आजकल युवाओ को अपना नशे की लत में ढाल रही है।